How to make-khasara-in-up-revenue| खसरा|


(U.P Khasra)खसरा या क्षेत्र पंजी बारें में-


खसरा राजस्व विभाग का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज (document )है इसको सामन्यतः खसरा कहते हैं इसका दूसरा नाम क्षेत्र पंजी भी है।

खसरे की उपयोगिता किसानों व सरकार के लिए

1.खसरे के अंदर आपको समस्त गाटो में खरीफ, रबी व जायद से सम्बंधित फसलों का अंकन.
 2. उसके ग्राम में स्थिति सिंचाई के साधन
3. किस वर्ष में कितनी भूमि क़ृषित हुई खसरे से ज्ञात होता है।4.जिसमें  एक वर्षीय खाद्य व अखाद्य फसलों का एक डेटा भी हमको देखने को मिल जाता है।
5.अक़ृषि भूमि जैसे जल मग्न भूमि आबादी खलियान खाद गड्डा आदि का ब्यौरा तो आप खतौनी से देख सकते है किन्तु कितनी कृषि भूमि अक़ृषि भूमि में तब्दील हो गयी इसकी जान कारी सिर्फ खसरे से मिलती है.
6.खसरे से ही किस फसली सन में कितना क्षेत्रफल  बौया गया 
था पता लगाया जा सकता है.

सरकार समस्त ग्रामों का फ़सल डाटा लेकर खाद्यान क़ृषि तकनीक फ़सल सुरक्षा किसान सुरक्षा गरीबी निवारण  से सम्बंधित योजना  बनाती है .

लेखपाल के लिए खसरे की उपयोगिता

जब राजस्व लेखपाल पैमाइश हेतु हल्के अर्थात क्षेत्र में जाता है तो वह अगल बगल के प्लॉटों को खसरे से शीघ्रता से ढूढ़ लेता है क्योंकि खतौनी(revenue khatauni) में गाटा क्रम बार नहीं होते है जबकि खसरे में क्रम बार प्लॉटों(गाटा) का अंकन किया  जाता है।अर्थात हम कह सकते हैं कि खसरे के माध्यम से किसानों के खेतो को ढूढ़ आसान होता है।जिससे  अमूल्य समय की बचत होती है।

खसरा (क्षेत्र पंजी)किस प्रकार तैयार किया जाता है।


खसरा  क्षेत्र पंजी भी कहलाता है।खसरे को आकार पत्र प क 3 पर तैयार किया जाता है। जहां जमींदारी है वहाँ इसको प्रपत्र प 3 पर तैयार किया जाता है।सामान्यत खसरे को 1 अगस्त से 9 अगस्त तक तैयार कर लेना चाहिये।हम याद दिला दे ,जहाँ आज भी जमींदारी है वहाँ आज भी खसरे में 22 स्तम्भ होते हैं।क्योंकि इसमें खेवट वाला कॉलम बढ़ जाता है।जबकि जमींदारी विनाश वाले क्षेत्र में यह स्तंभ कम हो जाता है।तब सम्पूर्ण खसरे में 21 कॉलम रहते हैं।
खसरे के 1 से 5 तक कॉलम पिछले खसरे एवं खतौनी से दर्ज करेंगे।यह काम 1 से 9 अगस्त तक हो जाना चाहिए।7 से 9 खरीफ फसल का ब्यौरा,10 से 12 रबी फसल का ब्यौरा,13 से 15 जायद फसल का ब्यौरा।हर फसल ब्यौरे के स्तम्भ को तीन उप भागों में बांटेंगे जिसमें प्रथम उप कॉलम फसल का नाम ,दूसरा सिंचित क्षेत्रफल,तीसरा असिंचित क्षेत्रफल इसी तरह से 7 से 15 तक भरेंगें।आपको याद दिला दे कि कॉलम 6 तीनों पड़तालो में भरा जायेगा यह कॉलम संचित के साधन बताता है।कॉलम 16-17 में द्विफसली क्षेत्रफल दर्शाया जाता है।16 वे कॉलम में सिंचित का क्षेत्रफल व 17 वे में असिंचित का क्षेत्रफल दर्ज किया जाता है।18 व 19 अकृषित भूमि का प्रकार व उसका क्षेत्रफल को दर्शाता है।कॉलम 20 ,पेड़ों की संख्या व पेड़ का नाम बताता है।अंतिम कॉलम 21 विशेष टिप्पणी के लिए आकार पत्र प क 3 पर तैयार किया जाता है। जहां जमींदारी है वहाँ इसको प्रपत्र प 3 पर तैयार किया जाता है।सामान्यत खसरे को 1 अगस्त से 9 अगस्त तक तैयार कर लेना चाहिये।हम याद दिला दे ,जहाँ आज भी जमींदारी है वहाँ आज भी खसरे में 22 स्तम्भ होते हैं।क्योंकि इसमें खेवट वाला कॉलम बढ़ जाता है।जबकि जमींदारी विनाश वाले क्षेत्र में यह स्तंभ कम हो जाता है।तब सम्पूर्ण खसरे में 21 कॉलम रहते हैं।

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