उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 के अंतर्गत सीमांकन की महत्वपूर्ण बातें जो किसानों को भी जाननी चाहिए|bhu solver|

Important points regarding demarcation under section 24 of Uttar Pradesh Revenue Code 2006 which even farmers should know | |bhu solver |



 जैसा आप विदित हैं कि उत्तर प्रदेश राजस्व सहिंता 2006 की धारा 24  के अंतर्गत सीमांकन का वाद संबंधित  तहसील में श्रीमान उपजिलाधिकारी महोदय के न्यायालय में दाखिल किया जाता है।जिसमे महत्वपूर्ण दस्तावेज निम्नलिखित होना अनुवार्य है।

महत्वपूर्ण कागज जो किसानों की इकट्ठा करना है।

  1. संबंधित गाटा की खतौनी
  2. खसरा 
  3. जिला भूलेख से निकाला गया प्रमाणित नक्शा 
  4. प्रति गाटा 1000 रुपये शुल्क का ट्रेजरी चालान
  5. आवेदन पत्र वकालत नामा के साथ 

समस्त कागज का संलग्नक कर वकील के माध्यम से दाखिल किया जाएगा ।जिस पर फील्डबुक बनाने हेतु श्रीमान उपजिलाधिकारी द्वारा आदेश दिया जाएगा ।जिसमें मौके पर राजस्व निरीक्षक महोदय पूर्व सूचना देते हुए उपस्थित होगे ।

धारा 24 के अंतर्गत सीमांकन राजस्व निरीक्षक द्वारा स्थाई बिंद पत्थर अथवा पत्थर अनुपस्थिति की दशा में चौमैड़ा से किया जाता है।

अब राजस्व निरीक्षक महत्वपूर्ण तथ्यों पर नजर डालते हैं।

  1. ध्यान दे प्रारम्भिक पैमाइस का धारा 24 अहम रोल है उक्त रिपोर्ट पर ही पत्थर स्थापित (पत्थर नसब) प्रकिया को सम्पादित किया जाता है।इसलिए इसमें सावधानी से सभी मानकों पूरा करना आवश्यक है।मानक से भिन्न होने पर पुनः सीमांकन करना पड़ सकता है।जिससे महत्वपूर्ण  समय  की क्षति होने की संभावना होगी।
  2. सबसे पहले प्लाट की माप नक्शा में कर ले ।देख ले कही खतौनी से भिन्न सीट तो नहीं बनी है।यदि पायी जाती है।तो इसकी रिपोर्ट कर दे।जब तक सीट नही किया जा सकता तब फील्डबुक बनाना जननिहत उपयोगी नहीं है।पत्थर स्थापित होने के उपरांत पत्थर प्रतिस्थापित अर्थात मूल बिन्दु से हटाया जाना दण्डनीय अपराध है।
  3. खतौनी मुताबिक सीट पाए जाने पर सीमांकन प्रक्रिया प्रारंभ करें।फील्डबुक बनाते समय लाल कलम से  अवश्य  दर्शाये कि इस दिशा में इतना कड़ी उस नम्बर में मिलना है।इसके अभाव में फील्डबुक अपूर्ण मानी जाती है।
  4. फील्डबुक व रिपोर्ट में सभी बिंदुओं को संकलित करें।जिसमे जा रहा है।उसको भी बता दे ।जिससे वह आपत्ति कर सकें तथा आप पत्थर नसब के समय इस बिंदु को लेकर दोषी न हो कि आप ने हमको बताया  नहीं।यदि बताए होते तो हम उक्त पर आपत्ति करते या स्वयं का भी सीमांकन कराते।
  5. आप विदित हैं आपत्ति लेने हेतु व उनका निस्तारण श्रीमान के न्यायालय से ही होना है।आपत्ति प्राप्त न होने पर ही अग्रिम आदेश आपकी रिपोर्ट के अनुसार ही होता है।

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